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किसी पशु का इलाज करने के लिए किसी भी Veterinarian को सबसे पहले बीमारी का लक्षण पता रहना चाहिए।
किसी भी बीमारी का लक्षण पता करने के लिए हमें स्वस्थ पशुओ और बीमार पशुओ में क्या अंतर होता है, ये पता रहना चाहिए कि स्वस्थ पशुओ के क्या लक्षण है, और पशु जब बीमार होता है तो उसके लक्षण में क्या बदलाब होता है.
तो सबसे पहले प्राथमिक पशु चिकित्सा कोर्स में हम स्वस्थ पशु के लक्षण जानेंगे, कि स्वस्थ पशु के क्या लक्षण होते है.
स्वस्थ पशु के लक्षण
कुछ अनुभव के बाद, स्वस्थ पशु की पहचान करना आसान है। जैसे
स्वस्थ पशु के बाहरी शारीरिक लक्षण
- स्वस्थ पशु को खड़े होने तथा चलने-फिरने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
- उसका सर सीधा रहना चाहिए, एक तरफ लुढ़का हुआ नहीं।
- उसका थूथन ठण्डा और नम तथा तथा मुँह का अन्दरूनी हिस्सा गुलाबी होना चाहिए।
- समय-समय पर डकार लेना पशु के अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है।
- पशु को आहार लेना चाहिए तथा आराम करते समय जुगाली करनी चाहिए।
- जब पशु बैठते हैं, तब वे सबसे पहले घुटने मोड़ते हैं, जबकि खड़े होते समय वे अपनी पीछे की टाँग उठाते हैं। उठने के बाद, स्वस्थ पशु अपने शरीर को खींचता तथा झुकाता है।
- पशु अपने तथा दूसरे जानवरों के शरीर को बार-बार चाटते हैं।
- गाय के दूध देने में एकरूपता रहनी चाहिए।
- पशु का गोबर न ज्यादा सख्त और न ज्यादा पतला होना चाहिए।
- पशु का पेशाब साफ होना चाहिए न कि ज्यादा पीला
- पशु के मुज़्ज़ल (थूथना) पर हमेशा नमी यानि पानी की बुँदे होनी चाहिए।
- पशु का कान लटका नहीं होना चाहिए।
- पशु के आँख से किसी तरह के कचरा और पानी नहीं आनी चाहिए।
- मुँह और नाक से किसी तरह का लार नहीं टपकना चाहिए।
स्वस्थ पशु के सॉस लेने की क्रिया
सॉस क्रिया में
- पशु ताजा हवा अन्दर करता है और कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसें बाहर करता हैं। बाहर निकली हुई हवा शरीर के लिए हानिकारक होती है।
- सॉस क्रिया की गति गिनने के लिए जानवर के नाक के सामने हाथ रखना चाहिए अथवा पेट का फैलना और सिकुड़ना देखना चाहिए।
- पशु की साँसों को गिनने का एक सरल उपाय है- उसके नथुनों के पास हथेली रखकर उसकी साँसों को गिनना। एक मिनट में वह कितनी बार साँस लेता है, इसे सरलतापूर्वक इस उपाय से जाना जा सकता है।
- स्वस्थ पशु के सॉस से किसी तरह का बदबू नहीं आता है।
- और पशु को सॉस लेने में किसी तरह का कठिनाई नहीं होता है।
स्वस्थ पशु के नाड़ी की क्रिया
- नाड़ी क्रिया की गति हृदय की कार्यक्षमता की द्योतक है।
- गाय-भैंस में नाड़ी क्रिया की गति पूँछ की जड़ के नीचे के मध्य भाग पर अंगुली रखने से जानी जा सकती है।
- नीचे के जबड़े के मध्य तृतीय भाग पर भी अंगुली रखने से भी नाड़ी क्रिया की गति मालूम की जा सकती है।
- भेड़, बकरी, कुत्ता और बिल्ली में नीचे का जबड़ा या पिछले पैर के अन्दर के भाग पर अंगुली रखकर नाड़ी की गति मालूम की जा सकती है।
स्वस्थ पशु के शरीर का तापमान
प्रत्येक जानवर के शरीर का तापमान सामान्य अवस्था में करीब-करीब एक जैसा होता है। बीमारी की अवस्था में सामान्य तापमान ज्यादा या कम हो जाता है।
तापमान मापक के पारे का स्तर मापक को झटका देकर नीचे कर दिया जाता है। तापमान मापक की घुडी के ऊपर वैसलीन या साबुन लगाकर जानवर की गुदा में डाला जाता है। तापमान मापक की घुडी गुदा की दीवार से 1-2 मिनट के लिए सटाकर रखनी चाहिए। तापमान मापक को पढ़ने से पहले रूई से साफ कर लेना चाहिए।
तापमान, नाड़ी किया और सॉस क्रिया की गति निम्नलिखित क्रम से लेना चाहिए
- सॉस क्रिया
- नाडी क्रिया
- तापमान
विभिन्न जातियों का श्वसन, नाड़ी गति एवं तापमान
क्रम सं० | पशु | श्वसन प्रति मिनट | नाड़ी प्रति मिनट | तापमान डिग्री फॉरेनहाइट |
1. | गाय | 12-20 | 50-70 | 101-101.5 |
2. | भैंस | 16-20 | 40-50 | 102-102.5 |
3. | बकरी | 12-22 | 70-80 | 103.0 |
4. | भेड़ | 14-22 | 70-80 | 103.0 |
5. | सूअर | 8-18 | 60-80 | 102.5 |
6. | घोड़ा | 8-16 | 30-60 | 100.0 |
7. | ऊँट | 8-12 | 32-50 | 99.5 |
8. | मुर्गी | 13-38 | 120-160 | 106-107 |
9. | मनुष्य | 15-25 | 70-72 | 98.4 |
10. | कुत्ता | 20-25 | 90-130 | 101.5 |
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