Veterinary course: #10 पशुओं में विष वाले रोग (Poisioning Diseases in Animals) का लक्षण और इलाज

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इस भाग में हम आपको पशुओं में विष वाले रोग (Poisioning Diseases in Animals) का लक्षण और इलाज बताने वाले है।

Poisioning Diseases in Animals hindi

पशु रोगों का वर्गीकरण (Classification of Animal Diseases)

चिकित्सा हेतु पशुओं के रोग

  • विष वाले रोग (Poisioning Diseases)

पहले ये पढ़े

पशुओं में विष वाले रोग (Poisioning Diseases in Animals)

विष या जहर एक ऐसी चीज है जिसके खाने, पीने और लगाने से पशु की मृत्यु हो जाती है या तो यह आकस्मिक (Accidental) होता है या द्वेष (Malice) से खिलाया पिलाया या लगाया जाता है। बहुत से पौधे, फल, अनाज, खनिज, दवाइयाँ आदि हैं जो विष होती हैं या उनमें विष रहता है जैसे –

  • पौधों में- ज्वार, अलसी, खेसारी आदि ।
  • फलों में- धतूरा, कुलचा, अण्डी, जैतून का तेल (Acorn) आदि ।
  • अनाजों में- खेसारी, सोयाबीन, खली, अलसी की खली, कपास बीज खली, शराब वाले अनाज (जौ) आदि ।
  • खनिजों में- आर्सेनिक, जस्ता, कॉपर, सीसा (Zinc Phosphide), एण्टीमनी, आयोडीन आदि ।
  • दवाईयों में- चूहामार (Favus), कीड़ा मकोड़ा मार (Insecticide or Pesticide) अम्ल, क्षार (Alkali) आदि ।
  • अन्य- करखानों का दूषित जल, रंग (Paints) सॉप काटना, विधुत आधात (Electric Shock )

कुछ मुख्य प्रचलित विषों के नाम इस प्रकार हैं।

पशुओं में हाइड्रोसायनिक एसिड विष (Hydrocynic Acid Poisoning) का लक्षण और इलाज

यह एक शक्तिशाली जहर है जो कई प्रकार के पौधों में पाया जाता है जैसे ज्वार ( Sorghum ) के पौधों की निश्चित अवस्था में कागजी बादाम, अलसी आदि।

लक्षण –

(i) इस विष के पौधों को पशु के खाने के 10-15 मिनट के अन्दर लक्षण दिखाई पड़ते हैं और पशु 1-2 घन्टे में मर जाता है।

(ii) कष्ट से साथ मुँह खोलकर सांस लेना तथा मुँह पर फेन होना ।

(iii) बेचैनी और अफारा होना ।

(iv) पशु का गिर जाना और उठने में अयोग्य होना ।

(v) सिर को बगल में घुमाकर रखना तथा आँख बन्द करना जैसे दुग्ध ज्वर में होता है।

(vi) मुँह से कडुवे बादाम की सी गन्ध आना ।

(vii) आँख की पुतलियाँ फैली हुई तथा श्लष्मिक झिल्ली चमकीली एवं लाल होना ।

(viii) दम घुटने की सी पीड़ा तथा सदैव मुँह खोलना और बन्द करना, दाँत किटकिटाना और आँख मे चक्र के समान गति होना।

चिकित्सा (Treatment )

सिर पर ठंडा पानी रखें तथा एमाइल नाइट्रेट या अमोनिया सुंघाएं।

2. श्वांस किया करें।

3. हो सके तो शीघ्र (कै) करायें।

4. शीघ्र डाक्टर की सलाह लें।

पशुओ में संखिया विष (Arsenic Poisoning) का लक्षण और इलाज

यह विष दूषित जल पीनत्र संखिया युक्त औषधि का छिड़काव किए गये पौधों या घास खाने, औषधि के रूप में इसकी अधिक मात्रा खाने या सुई लगाने, या इसके घोल में पशु को नहलाने या चाटने से पशु को विष लग जाता है। विष की अधिकता से पशु की मृत्यु 3-4 घन्टे में हो जाती है।

लक्षण-

(i) यह रोग तीव्रता से होता है।

(ii) तीव्र उदर शूल तथा अधिक प्यास ।

(iii) तेज दुर्गन्ध भरा खूनी दस्त ।

(iv) शुरू मे रक्तचाप में गिरावट, शारीरिक तापमान सामान्य से नीचे ।

(v) पेशाव में रक्त तथा अलबुमीन का होना ।

(vi) पिछले अंगों का पक्षाघात ।

(vii) थन, योनिओष्ठ, अन्डकोष थैली, आँखों के चारों ओर की त्वचा का चिपड़ी सा उखड़ना तथा त्वचा का झुलसने का सा रूप होना ।

चिकित्सा (Treatment )

1. उल्टी या कै कराएं।

2. आमाशय आन्त्र – शोध में टैनिक एसिड या अन्डे उजला भाग खिलाएं।

3. टानिक तथा मूत्रवर्धक दवा दें (पशु चिकित्सक की सलाह से)।

पशुओं में सीसा विष (Lead Poisoning) का लक्षण और इलाज

यह विष जुगाली करने वाले पशुओं में प्रभावकारी होता है, यह विष सीसा युक्त रंग चाटने, सीसा युक्त पाइप का पानी पीने, सीसे की गोली खाने से पशुओं के शरीर में फैलता है।

लक्षण –

इस विष लक्षण पाचनतन्त्र तथा तन्त्रिका तन्त्र पर मिलते हैं –

(i) आन्त्र शोध आमाशय शोध, तेज उदरशूल, पेशियों में ऐंठन, दाँत किटकिटाना ।

(ii) दुर्गन्ध भरा पानी के समान पतले दस्त, भूख न लगना, कभी-कभी कब्ज और दस्त ।

(iii) लड़खड़ाना, डगमगाना, अन्धापन दीवाल मे माथा अड़ाकर खड़ा होना।

(V) आवाज मे बदलाव, गरजना, डकारना तथा चिल्लाना ।

चिकित्सा (Treatment)

1. स्टोमक ट्यूब द्वारा कै वाली दवा दें।

2. दस्तावर जैसे मैगसल्फ या सोडी सल्फ पिलावैं।

3. अन्डे का उजला भाग दे सकते है।

4. लम्बे समय ( Chronic Poisoning) मैं पौटेशियम आयोडाइड 2 से 16 ग्राम गुड़ में दें।

पशुओं में कीड़े मकोड़े मार विष (Insecticide or Pesticide Poisoning) का लक्षण और इलाज

यह विष कीड़े मकोड़े – मार दवाओं के पौधों पर छिडकने के उपरान्त पशुओं को चारा, घास एवं पौधों को खिलाने या सीधे सम्पर्क जैसे गेमेक्सीन, डी० डी० टी०, एलड्रीन आदि से होता है ।

लक्षण

कॅपकपी, थरथराहट, लड़खड़ाहट, दाँत किटकिटाना या पीसना, उत्तेजना, ज्वर, श्वांस लेने में कष्ट, चलने फिरने में अयोग्यता आदि लक्षण मिलते हैं।

चिकित्सा (Treatment)

1. यदि पशुओं के बाहरी शरीर पर प्रभाव पड़ा हो तो साबुन, पानी तुरन्त धोलें।

2. तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें ।

पशुओं में सर्प दंश विष (Snake bite Poisoning) का लक्षण और इलाज

लक्षण

(i) सर्प पशुओं को प्रायः पैर या मुँह पर काट सकते हैं। अतः इन जगहों पर सर्प के दाँत के निशान देखना चाहिए।

(ii) सर्प के काटने के स्थान पर दर्द एवं सूजन हो सकती है।

(iii) मुँह से लार, फेन चलने लगता है।

(iv)ऊँघना, शून्यता, अकड़पन लेटना एवं पक्षाघात के लक्षण दिखाई पड़ते हैं।

(v)पशु की मृत्यु श्वांस रूकने से होती है।

चिकित्सा (Treatment)

1. सॉप के काटे हुए स्थान के ऊपर हृदय की ओर कपड़े या रस्सी से बाँध देना चाहिए।

2. काटे हुए स्थान को चाकू या ब्लेड़ से छोटा चीरा लगाकर पोटेशियम परमेगनेट भर देना चाहिए।

3. तुरन्त डॉक्टर की सलाह लें।

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