इस भाग में हम आपको पशुओ में संक्रामक या छूतवाले (संसर्गी) रोग (Infectious or Contagious Diseases in animals) के बारे में बताने वाले है।
प्राथमिक पशु चिकित्सा के इस कोर्स में हम आपको पशु रोगों का वर्गीकरण और पशुओं में पोषक तत्वों के अभाव वाले रोग के बारे में बता चुके है कि पशु में किस-किस प्रकार के बीमारी होता है और पशु के शरीर में कहा-कहा होता है।
पशु रोगों का वर्गीकरण (Classification of Animal Diseases)
चिकित्सा हेतु पशुओं के रोग
- बाहरी आघात और लघु शल्य चिकित्सा वाले रोग (External Injuries and Minor Surgical Diseases)
- असंक्रामक या सामान्य रोग (Non Infectious Diseases)
- संक्रामक या छूतवाले (संसर्गी) रोग (Infectious or Contagious Diseases)
- परजीवी रोग (Parasitic Diseases)
- त्वचा रोग (Skin Diseases)
- विष वाले रोग (Poisioning Diseases)
पहले ये पढ़े
- पशुओं में पोषक तत्वों के अभाव वाले रोग
- पशु रोगों का वर्गीकरण
- वेटरनरी मेडिसिन के संछिप्त नाम तथा उनका विवरण
- बीमार पशु के लक्षण
- स्वस्थ पशु के लक्षण
- प्राथमिक पशु चिकित्सा कोर्स
पशुओ में संक्रामक या छूत वाले रोग (Infectious or Contagious Diseases in animals)
संक्रामक रोग (Infectious Diseases) ऐसे रोग जो सूक्ष्म कीटाणुओं के कारण होते हैं तथा इनका फैलाव संक्रमण से होता है जैसे पशुओं के साथ-साथ रहने, साथ-साथ चारा खाने से, सॉस द्वारा अथवा सम्भोग द्वारा। ये रोग एक पशु से दूसरे पशु को लग जाते हैं।
छूत वाले रोग (Contagious Diseases) ये रोग भी सूक्ष्म कीटाणुओं ( Micro Organisms) के कारण होते हैं। ये कीटाणु पशुओं या मनुष्य में शरीर के प्राकृतिक छिद्रों द्वारा पानी, हवा या भोजन के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में शरीर के अन्दर पहुँच कर रोग पैदा करते हैं।
सभी छूत की बीमारियाँ संक्रामक होती है की बीमारियाँ संक्रामक होती है परन्तु सभी संक्रामक बीमारियाँ छूत वाली नहीं होती हैं।
जब संक्रामक या संसर्गी रोग कई पशुओं को एक साथ होता है और कई पशु साथ-साथ मरने लगते हैं तब उसे महामारी ( Epidemic) कहते हैं।
रोग का फैलाव (Mode of Dissemination)
- बीमारी वाले पशु का सम्पर्क बिना बीमारी वाले पशु के साथ होने पर इस प्रकार का रोग फैलता है जैसे रिंग वॉर्म, बैंग (Bang’s) तथा Venerial या STD आदि ।
- संक्रमणीय पदार्थ के सम्पर्क में आने से जैसे- संक्रामक गर्भपात आदि ।
- रोगग्रस्त पशु के सम्पर्क में आयी वस्तु द्वारा ।
- मिट्टी द्वारा।
- भोजन व जल द्वारा ।
- हवा द्वारा (Air Born Infection)
- रक्त चूसने वाले कीटों द्वारा |
रोग के कारण
पशुओं में अधिकतर संक्रामक रोग निम्न प्रकार के कीटाणुओं (Pathogenic Micro Organisms) के कारण फैलते हैं।
01. सूक्ष्म जीवाणु (Bacteria)
वायरस (Virus) या विषाणु जीवाणु (Bacteria) जीवाणु एक कोशिकीय रचना होती हैं जिसका शारीरिक बनावट के अनुसार विभाजन नहीं किया जा सकता। इन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी यन्त्र से देखा जा सकता है।
यह जीवित शरीर के अन्दर तथा बाहर के वातावरण में विभाजन कर अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं। जीवाणु कई एक आकार प्रकार के होते हैं। जैसे आकार में गोल, लम्बा, टेडा मेड़ा आदि और प्रकार में स्ट्रेप्टोकोकस, स्टेफिलोकोकस, पासचुरेला, हेमोफिलस, वैसिलस, क्लोस्ट्रीडियम एक्टीनो वैसीलस, कोराइन बैक्टीरियम, लप्टोस्पाइरा आदि ।
इन जीवाणुओं को चिकित्सा विज्ञान में मुख्यरूप से दो भागों में बाँटा गया है।
1. ग्राम पोजिटिव जीवाणु ( Gram Positive Bacteria)
2. ग्राम नेगेटिव जीवाणु ( Gram Negative Bacteria)
ग्राम पोजिटिव जीवाणु – ऐसे जीवाणु जो ग्राम स्टेन से रंगे जा सकते हैं, इन्हें ग्राम पोजिटिव जीवाणु कहते हैं जैसे- लंगडा बुखार के जीवाणु
ग्राम नेगेटिव जीवाणु- ऐसे जीवाणु जो ग्राम स्टेन से नहीं रंगे जा सकते हैं, इन्हें ग्राम नेगेटिव जीवाणु कहते हैं जैसे-गला घोंटू रोग के जीवाणु ।
जीवाणुओं द्वारा पशुओं में होने वाले निम्नलिखित मुख्य रोग है-
- गला घोंटू या एच० एस० (Haemorrhagic Septicaemia)
- लंगडा या सूजा या जहरवाद या ब्लैक क्वार्टर (Black Quarter)
- गिल्टी या बिलहरी या प्लीहा बढ़वा या एन्थ्रेक्स (Anthrax )
- संक्रमक गर्भपात या कन्टेजियस एबोर्शन (Contagious Abortion) ब्रुसेलोसिस (Brucellosis)
- क्षय रोग या तपैदिक या टी0बी0 (Tuberculosis)
- जोन्स रोग (John’s diseases JD)
- संसर्गी बोवाइन प्लूरो न्यूमोनिया (Contagious Bovine Pleuro Pneumonia)
- फुट रौट (Foot Rot)
- धनुषटंकार या टिटनेस (Tetanus)
- जहरीला घाव या एक्टीनोमाइकोसिस (Actinomycosis)
- बछड़ों का उजला पीला दस्त (White Scour in Calves)
- श्वांसारोधक (Strangles)
- लेप्टोस्पाइरोसिस (Leptospirosis)
- थनैला (Mastitis)
02. विषाणु (Virus)
विषाणु अत्यन्त सूक्ष्म कीटाणू होता है जो सामान्य सूक्ष्मदर्शी यन्त्र से भी नहीं देखा जा सकता है। ये R.N.A. तथा D.N.A. से बनी सूक्ष्म संरचना होती है।
यह केवल जीवित कोशिका के अन्दर अपना विभाजन व वृद्धि करते हैं। बाहर आने पर जैसे से तैसे बने रहते है। इन्हें इलैक्ट्रोनिक सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।
इनसे फैलने वाले मुख्य रोग निम्न हैं-
- अढैया या इफीमेरल फीवर (Ephemeral Fever)
- खुरहा या खुरपका मुँहपका (F.M.D.)
- पेंकनी या रिन्डरपेस्ट (Rinderpest )
- चेचक या माता या शीतला (Pox)
- पागल कुत्ते का काटना या रेबीज (Rabies)
- डिस्टेम्पर (Distemper )
- पारवो वाइरस इन्फैक्शन (Parvo Virus Infection)
- संक्रामक श्वान हेपटाइटीस ( Infectins Canine Hepatitis)
- पशुओं का मैथुन रोग (Coital Exanthema of Cattle)
- संक्रामक एकथिमा (Cantagious Ecthyma)
- नीली जीभ (Blue Tongue)
- अश्व मस्तिष्क प्रदाह (Equine Encephalomyelitis) USE
- शूकर ज्वर (Swine Fever)
- अश्व इन्फ्लुएन्जा (Equine Influenza)
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