भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां खेती और पशुपालन आमदनी का मुख्य स्रोत है। पशुपालन में गाय और भैंस पालन से बहुत सारे किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं।
वहीं में गाय की नस्लें जो विदेशी नस्ल और संकर नस्ल के होते हैं उनमें काफी ज्यादा समस्या अपने देश में मौसम की समस्या, बीमारी की समस्या और बहुत सारी समस्या का सामना करना पड़ता है।
वही हमारे देश की अपनी देसी गाय का पशुपालन कर के बहुत सारे किसान बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। देसी गाय जितना भी गर्मी हो उसमें वो रह लेती है, बीमार कम पड़ती है, उसका दूध बहुत बढ़िया होता है। तो चलिए हम अपने देश में सर्वाधिक दूध देने वाली देसी गायों के बारे में जानते हैं।
गिर (Gir)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र गुजरात राज्य में दक्षिण कठियावाड़ का गिर वन है। यह नस्ल राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में भी पाई जाती है लंबे चौड़े उभार वाले मस्तक से इसे सरलतापूर्वक पहचाना जा सकता है।
यह श्वेत या लाल रंग के होते हैं तथा पूरे शरीर पर लाल या चॉकलेटी भूरे धब्बे पाए जाते हैं औसतन 1700 किलोग्राम दूध एक बात काल में देती है। अधिक से अधिक उत्पादन 3175 किलोग्राम पाया गया है।
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रेड सिंधी (Red Sindhi)
इस दुधारू नस्ल का गृह क्षेत्र पाकिस्तान में कराची एवं हैदराबाद है। भारत के उत्तरी राज्यों में यह नस्ल पाई जाती है। रेड सिंधी गाय का आकार अपेक्षाकृत छोटा तथा रंग लाल या गहरा लाल होता है।
ड्यूलप तथा मस्तक पर कभी-कभी श्वेत चितियां पाई जाती है। रेड सिंधी गाय का औसत उत्पादन 2000 किलो प्रति व्याप्त होता है। अधिकतम उत्पादन 5443 किलोग्राम पाया गया है।
साहिवाल (Sahiwal)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र पाकिस्तान का मांडगुमरी का साहिवाल जिला है। भारत में यह नस्ल पंजाब का फिरोजपुर जिला, दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में पाई जाती है।
अन्य देसी नस्लों की अपेक्षा साहिवाल पशु भारी काया सुगठित देंह तथा ढीली त्वचा वाले होते हैं इन पशुओं का रंग हल्का लाल या पीला-लाल होता है। तथा कभी-कभी श्वेत चीटियां भी पाई जाती है।
रेड सिंधी से इस नस्ल के पशु बहुत मिलते हैं किंतु रेड सिंधी का muzzle गहरे रंग का होता है जबकि साहिवाल का मजल(muzzle) हल्के रंग का होता है तथा उनकी आंखों के चारों ओर से श्वेत घेरा पाया जाता है। साहीवाल का औसत दूध उत्पादन 2250 किलो ग्राम प्रति ब्यात होता है।
राठी (Rathi)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र राजस्थान का गंगानगर जैसलमेर तथा बीकानेर जिला है। नर पशु आहार वाहक तथा कृषि कार्य में उपयोगी होते हैं जबकि गाय से बारह सौ किलोग्राम दूध प्रतिबिंब प्राप्त होता है। मध्यम कद काठी के इस दुधारू पशु को राठी नाम से जाना जाता है।
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काँकरेज (Kankrej)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र कच्छ का रण (गुजरात एवं पाकिस्तान) अहमदाबाद एवं राघवपुर है। इसके अलावा यह नस्ल राजस्थान के बाड़मेर वह जोधपुर जिले में पाई जाती है।
इस नस्ल का रक्त हिंदी भाषी राज्यों की अनेक नस्ल में पाया जाता है। नर उत्तम भार वाहक होते हैं जबकि इस नस्ल की गाय अच्छी व्यवस्था में पाले जाने पर 1400 किलोग्राम दूध प्रति बयान दे देती है। इस नल का अधिकतम उत्पादन 3500 किलोग्राम पाया गया है।
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अगर आप अपने गांव में रहकर बढ़िया आमदनी करना चाहते हैं तो अपने डेयरी फार्म में इन दुधारू देसी नस्ल की गाय को शामिल करके बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। इस डेरी फार्म बिजनेस में कम लागत में अच्छा मुनाफा है।
इसके लिए केवल आपको दुधारू पशु की ही आवश्यकता होती है। साथ ही सरकार भी डेयरी खोलने के लिए आपको आर्थिक मदद करती है। इस योजना के तहत नाबार्ड डेयरी फार्म खोलने को इक्छुक किसान को 25% तक की सब्सिडी दिया जाता है।