A2 milk: रोजमर्रा की जिंदगी में दूध हमारे जीवन को काफी ज्यादा प्रभावित करता है। दूध का सेवन हम स्वास्थ्य को सही रखने के लिए करते हैं। कुछ पशुओं के ऐसे दूध होते हैं जिसका सेवन करने से हमें किस प्रकार का कोई फायदा नहीं होता है। जैसे कि एचएफ, जर्सी और संकर नस्ल की गायों का दूध का सेवन करने से हमें किसी तरह का कोई फायदा नहीं होता है। क्योंकि उसके दूध में पानी की मात्रा अधिक होती है और फैट और प्रोटीन काफी कम मात्रा में पाया जाता है। और इस नस्ल के गायो के दूध का रैट भी काफी कम है।
कुछ ऐसे नस्ल के गाय हैं जो हमारे भारत में पाया जाते हैं।और उनके दूध में सोना पाया जाता है सोना कहने का मतलब उनमें A2 मिल्क पाया जाता है। A2 मिल्क वाला गाय का पालनकर काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि A2 मिल्क आम दूध से रेट दोगुना होता है।
तो हम आपको ऐसे पांच नस्ल बताएंगे जिनके दूध में A2 मिल्क पाया जाता है। A2 milk वाले गायों को पालन करके आप काफी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। इसका दूध का रैट 90 रुपया से लेकर 150 रुपया तक होता है। और इस A2 milk वाले गायों का घी 2000 रुपया से लेकर 5000 रुपया तक बिकता है।
गिर (Gir)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र गुजरात राज्य में दक्षिण कठियावाड़ का गिर वन है। यह नस्ल राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में भी पाई जाती है लंबे चौड़े उभार वाले मस्तक से इसे सरलतापूर्वक पहचाना जा सकता है।
यह श्वेत या लाल रंग के होते हैं तथा पूरे शरीर पर लाल या चॉकलेटी भूरे धब्बे पाए जाते हैं औसतन 1700 किलोग्राम दूध एक बात काल में देती है। अधिक से अधिक उत्पादन 3175 किलोग्राम पाया गया है।
और इसका भी दूध का रैट 90 रुपया से लेकर 150 रुपया तक होता है। और इसन गायों का घी 2000 रुपया से लेकर 5000 रुपया तक बिकता है।
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रेड सिंधी (Red Sindhi)
इस दुधारू नस्ल का गृह क्षेत्र पाकिस्तान में कराची एवं हैदराबाद है। भारत के उत्तरी राज्यों में यह नस्ल पाई जाती है। रेड सिंधी गाय का आकार अपेक्षाकृत छोटा तथा रंग लाल या गहरा लाल होता है।
ड्यूलप तथा मस्तक पर कभी-कभी श्वेत चितियां पाई जाती है। रेड सिंधी गाय का औसत उत्पादन 2000 किलो प्रति व्याप्त होता है। अधिकतम उत्पादन 5443 किलोग्राम पाया गया है।
और इसका भी दूध का रैट 90 रुपया से लेकर 150 रुपया तक होता है। और इसन गायों का घी 2000 रुपया से लेकर 5000 रुपया तक बिकता है।
साहिवाल (Sahiwal)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र पाकिस्तान का मांडगुमरी का साहिवाल जिला है। भारत में यह नस्ल पंजाब का फिरोजपुर जिला, दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश में पाई जाती है।
अन्य देसी नस्लों की अपेक्षा साहिवाल पशु भारी काया सुगठित देंह तथा ढीली त्वचा वाले होते हैं इन पशुओं का रंग हल्का लाल या पीला-लाल होता है। तथा कभी-कभी श्वेत चीटियां भी पाई जाती है।
रेड सिंधी से इस नस्ल के पशु बहुत मिलते हैं किंतु रेड सिंधी का muzzle गहरे रंग का होता है जबकि साहिवाल का मजल(muzzle) हल्के रंग का होता है तथा उनकी आंखों के चारों ओर से श्वेत घेरा पाया जाता है। साहीवाल का औसत दूध उत्पादन 2250 किलो ग्राम प्रति ब्यात होता है।
और इसका भी दूध का रैट 90 रुपया से लेकर 150 रुपया तक होता है। और इसन गायों का घी 2000 रुपया से लेकर 5000 रुपया तक बिकता है।
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राठी (Rathi)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र राजस्थान का गंगानगर जैसलमेर तथा बीकानेर जिला है। नर पशु आहार वाहक तथा कृषि कार्य में उपयोगी होते हैं जबकि गाय से बारह सौ किलोग्राम दूध प्रतिबिंब प्राप्त होता है। मध्यम कद काठी के इस दुधारू पशु को राठी नाम से जाना जाता है।
और इसका भी दूध का रैट 90 रुपया से लेकर 150 रुपया तक होता है। और इसन गायों का घी 2000 रुपया से लेकर 5000 रुपया तक बिकता है।
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काँकरेज (Kankrej)
इस नस्ल का गृह क्षेत्र कच्छ का रण (गुजरात एवं पाकिस्तान) अहमदाबाद एवं राघवपुर है। इसके अलावा यह नस्ल राजस्थान के बाड़मेर वह जोधपुर जिले में पाई जाती है।
इस नस्ल का रक्त हिंदी भाषी राज्यों की अनेक नस्ल में पाया जाता है। नर उत्तम भार वाहक होते हैं जबकि इस नस्ल की गाय अच्छी व्यवस्था में पाले जाने पर 1400 किलोग्राम दूध प्रति बयान दे देती है। इस नल का अधिकतम उत्पादन 3500 किलोग्राम पाया गया है।
और इसका भी दूध का रैट 90 रुपया से लेकर 150 रुपया तक होता है। और इसन गायों का घी 2000 रुपया से लेकर 5000 रुपया तक बिकता है।
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अगर आप अपने गांव में रहकर बढ़िया आमदनी करना चाहते हैं तो अपने डेयरी फार्म में इन दुधारू देसी नस्ल की गाय को शामिल करके बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। इस डेरी फार्म बिजनेस में कम लागत में अच्छा मुनाफा है।
इसके लिए केवल आपको दुधारू पशु की ही आवश्यकता होती है। साथ ही सरकार भी डेयरी खोलने के लिए आपको आर्थिक मदद करती है। इस योजना के तहत नाबार्ड डेयरी फार्म खोलने को इक्छुक किसान को 25% तक की सब्सिडी दिया जाता है।