लम्पी स्किन डिजीज क्या है? | Lumpy skin disease in Hindi

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लम्पी स्किन डिजीज जिसका अन्य नाम lumpy skin disease या LSD या Lumpy virus या lumpy virus disease या LSDV और गांठदार त्वचा रोग के नाम से भी जाना जाता है। लम्पी स्किन डिजीज कुछ सालो से भारत के सभी राज्यों में अपना प्रकोप दिखा चुका है। इस virus बीमारी से ज्यादा छतिग्रस्त राज्य Jammu and Kashmir, Himachal Pradesh, Punjab, Rajasthan, Chandigarh, Uttarakhand, Haryana, Meghalaya, Karnataka, Maharashtra, Odisha हुआ है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ के एक बड़ी आबादी कृषि और पशुपालन से ज़ुरा हुआ है। और ऐसे में लम्पी स्किन डिजीज ने पशुपालकों को काफी ज्यादा परेशान कर रखा है।

इस वायरस बीमारी को लेकर लोगो के मन में कई तरह के सवाल है की यह रोग कैसे फैलता है, यह रोग क्या है, कहा से आया है, कैसे आया है, बीमारी का शुरुवात कब हुई, क्या ये मनुष्य में फैल सकता है, ये कितने दिन का होता है, इसका लक्षण क्या है, यह कितने दिन तक रहता है, इसका इलाज क्या है, इसका घरेलू देसी आयुर्वेदिक इलाज क्या है, इसका बचाव क्या है, इसका vaccine क्या है, प्रभावित पशुओं का दूध उपयोग करना चाहिए या नहीं जैसे आपके भी सवाल है तो इसे पूरा पढ़े और इसे share करे।

लम्पी स्किन डिजीज क्या है?

लम्पी स्किन डिजीज एक Vector Borne Disease है यानि वायरल बीमारी है। जो मक्खी, मच्छर, जू, और चिचर जैसे खून चूसने वाले कीड़ो से ज्यादा फैलता है। साथ ही दूषित पानी, संक्रमित पशुओं के लार और उसके चारे से भी फैलता है।

लम्पी स्किन डिजीज एक संक्रमण रोग है जो प्रोक्सविरिडी वायरस के कारण होता है। प्रोक्सविरिडी को नीथलिंग वायरस भी खा जाता है। ये वायरस गोटपॉक्स (Goatpox) और शिपपॉक्स (Sheepox) फैमिली का है। ये संक्रमण बीमारी है जो संक्रमित पशुओं के सीधे संपर्क में आने से दूसरे पशुओं को भी हो जाता है।

ये बीमारी ज्यादा तर बरसात के मौसम यानि जून,जुलाई, अगस्त, सितम्बर, और अक्टूबर के महीनो में ज्यादा होते है, क्योकि इस महीने में मक्खी, मच्छर, जू, और चिचर ज्यादा होते है।

यह एक ज़ूनोटिक बीमारी नहीं है यानि पशुओं से मनुष्य में नहीं फैलता है।

lumpy skin disease

लम्पी वायरस की शुरुआत कब हुई? और लम्पी वायरस कैसे आया?

दुनिया में सबसे पहली बार यह रोग 1929 में साउथ अफ्रीका के देश ज़ाम्बिया में आया था। धिरे धिरे कई अफ़्रीकी देशो में फैल गया। 2012 के बाद से ये बीमारी यूरोप, रूस, तुर्की, ग्रीस और कज़ाकिस्तान जैसे देश में तबाही मचाई है।

जुलाई 2019 में इसे बांग्लादेश में देखा गया, जहां से ये कई एशियाई देशो में फैल गया।

भारत में ये बीमारी पहली बार 12 अगस्त 2019 को ओडिशा राज्य में पता चली थी। बाद में इसके मामले झारखंड, West Bengal और छत्तीसगढ़ मिले।

2021 और 2022 में सबसे ज्यादा प्रभावित राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के कई राज्यों है।

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लम्पी स्किन डिजीज कैसे होता है?

लम्पी स्किन डिजीज एक वायरल संक्रमण बीमारी है साथ में Vector Borne Disease है। Vector Borne Disease यानि जो मक्खी, मच्छर, जू, और चिचर जैसे खून चूसने वाले कीड़ो के काटने से होता है। खून चूसने वाले कीड़ो के काटने से ज्यादा फैलता है। साथ ही दूषित पानी, संक्रमित पशुओं के लार और उसके चारे से भी फैलता है।

लम्पी स्किन डिजीज के लक्षण क्या है?

संक्रमित जानवर में निम्न लक्षण दिखाते हैं:

1. तेज बुखार

2. भूख न लगना।

3. पशु के वजन में कमी।

4. पशुओं की आखें लाल होना व् आखों से पानी आना।

5. दूध देने वाली मवेशियों में दूध उत्पादन में भारी कमी।

6. बढ़े हुए (प्रीस्कैपुलर या प्रीफेमोरल) सतही लिम्फ नोड्स (एकतरफा या द्विपक्षीय) .

7. त्वचा में सूजन व मोटी-मोटी गांठें, (गांठ (आमतौर पर पहली बार सिर और गर्दन में देखा गया है ) .

8. शरीर के विभिन्न अंगो जैसे गले के नीचे, अंडकोश और योनी में सुजन।

9. जोड़ों में सूजन के कारण प्रभावित पशु 24-48 घंटे तक बैठ नहीं पाता।

10. ज्वर प्रारंभ होने के 48 घंटे के भीतर शरीर के लगभग सभी हिस्सों में 1-5 सेमी की त्वचा पर गांठों बन जाती है।

11. जैसे-जैसे रोग की अवधि बढ़ती है, गांठे घावयुक्त और अंततः फाइब्रोटिक कठोर बन जाती है जो कई महीनों तक बनी रह सकती हैं।

12. आमतौर पर, गांठे कुछ दिनों के पश्चात ठीक हो जाती है, लेकिन आमतौर पर घावों का केंद्र धीमा (स्कैब) हो जाता है, जिससे कीड़ों को आकर्षित करने वाले गहरे अल्सर निकल जाते हैं।

13. गांठों की संख्या (हल्के मामलों) में कुछ कम से लेकर (गंभीर मामलों) में पूरे शरीर पर हो जती हैं ।

14. मुंह के श्लेष्मा झिल्ली, नासिका छिद्र, निप्पल और भग भाग पर अल्सर विकसित हो सकते हैं।

15. गर्भवती गायों में गर्भपात और प्रजनन करने वाले सांडों में अस्थायी बांझपन हो सकता हैं।

16. गंभीर संक्रमण में क्षीणता, निमोनिया, थनैला और न ठीक होने वाले घाव हो सकते है, जो कीटों को आकर्षित कर सकते हैं।

17. आंख और नाक से स्राव और अत्यधिक लार आना। लसीका ग्रंथियां सूज जाती हैं।

सावधान रहें कि कुछ संक्रमित जानवर कोई नैदानिक लक्षण नहीं दिखा सकते हैं।

In case you missed it: What is Lumpy skin disease?

लम्पी स्किन डिजीज हो जाए तो क्या करें ?

1. लम्पी वायरस रोग की पहचान करने के तुरंत बाद संक्रमित पशु को सभी पशुओं से अलग कर दे।

2. संक्रमित पशु को किसी तरह का वैक्सीन जैसे Goat pox Vaccine का उपयोग नहीं करे।

3. पशु का आवास साफ-सुथरा , हवादार और पर्याप्त रौशनी का इंतजाम करे।

4. पशु को नर्म हरा चारा दे।

5. पशु के शरीर पर किसी पक्षी को न बैठने दे, नहीं तो गांठ को नुकसान पंहुचा देगा जिससे उसपर मक्खी मछर अंडे दे देंगे और उस में किरा पर जायगा।

6. मक्खी मछर को भागने के लिए Topicure spray का छिरकाव करे।

7. पशु आवास में नीम के पते का धुआँ करे

पशुओं को लंपी रोग से बचाव हेतू क्या नहीं करें

1. संक्रमित क्षेत्रों में बीमार पशुओं में गोट पाक्स का टिका नहीं लगवाएं।

2. रोगी पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं के साथ नहीं रखें। पशु बाड़े में सीलन

3. अँधेरा एवं गन्दगी नहीं रखें ।

4. मृत पशु के शव का निस्तारण खुले में नहीं करें।

पशुओं को लंपी रोग से बचाव हेतु क्या करें

1. पशुओं में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देने पर रोगी पशुओं को अन्य पशुओं से अलग कर आवासित करें ।

2. स्वस्थ पशुओं को चारा- दाना एवं पानी देने के बाद ही रोगी पशुओं को विशेषकर हरा चारा व सूखा चारा ही देवें ।

3. रोगी पशुओं के उपचार हेतू नजदीकी पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करें ।

4. पशु बाड़े में नियमित रूप से साफ- सफाई रखें।

5. पशु बाड़े में हवा रोशनी की पर्याप्त व्यस्था रखें।

6. पशु आवास में नीम के पत्तों को जलाकर धुँआ करें, ताकि मक्खी और मच्छरों को भगाया जा सके ।

7. रोग ग्रस्त क्षेत्र में पशुओं की आवाजाही रोकें ।

रोग से बचाव हेतु उपाय

• टीकाकरण

• पशुओं को बाहय परजीवियों (चौचडे / अट्टे) से मुक्त रखना

● बीमार पशुओं को स्वस्थ पशुओ से अलग रखना

• काटने वाली मक्खी/मच्छर आदि कीटो से बचाव

• पशुओं के बाड़े के आस पास कीटनाशको का छिडकाव करना

• पशुओं के बाडे एवं घर के आस-पास गन्दे पानी को एकत्र न होने देना

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लम्पी स्किन डिजीज का उपचार/इलाज क्या है?

यह एक वायरस के कारण होने वाला बीमारी है, इसलिए इसका कोई खास इलाज नहीं मिल पाया है। अभी मौजूदा वक्त में टीकाकरण ही इसके रोकथाम और नियंत्रण का सबसे प्रभावी साधन है। इसलिए इसका symptomatic treatment किया जाता है। जो हम आपको एलोपैथिक, घरेलू/देसी/आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक इलाज निचे बताये है।

लम्पी स्किन डिजीज का एलोपैथिक दवा

लम्पी स्किन डिजीज का Symptomatic treatment बुखार और सेकेंडरी इन्फेक्शन को रोकने के लिए किया जाता है। जिसमे सबसे पहले

1. बुखार, दर्द, और सूजन निवारक दवाई दिया जाता है। जैसे- Melonex plus Injection या Megludyne Injection या Maxxtol Injection

2. उसके बाद खुजली कम करने के लिए Antihistamic दवाए दिया जाता है। जैसे- Cadistin injection या Avill Injection

3. सेकेंडरी इन्फेक्शन को रोकने के लिए Antibiotics दवाए का उपयोग किया जाता है। जैसे- Intamox injection या Intacef Tazo injection

4. पशु स्ट्रेस में न जाए और खाना पीना कम न करे इसके लिए मल्टीविटामिन और लिवर टॉनिक का उपयोग किया जाता है। जैसे- Belamyl या Tribivet और Brotone लिवर टॉनिक

5. पशु के घाव पर मक्खी मछर ना बैठे इसके लिए मक्खी मछर मरने वाला दवा का छिरकाव करना चाहिए। जैसे- Topicure Spray

6. पशु के घाव में अगर कीड़े पर गए है तो उसमे तारपीन का तेल डाले जिससे कीड़े मर जाएगे।

Note: Antibiotics का उपयोग दो से तीन दिनों तक ही करे नहीं तो ज्यादा दिन करने से पशु ऑफ फीड में चला जाता है। बाकि सभी injection दवा का उपयोग वेटरनरी डॉक्टर के देख रेख में करे। सभी दवा को सभी पशु के Body Weight के अनुसार उपयोग करे।

लम्पी स्किन डिजीज का घरेलू/देसी/आयुर्वेदिक इलाज

लम्पी स्किन डिजीज का घरेलू , देसी और आयुर्वेदिक इलाज को हमने पुरे विस्तार से नीचे बताया है।

लम्पी स्किन डिजीज होने से पहले बचाव के घरेलू इलाज

संक्रमण होने से पहले बचाव के लिए निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है। तुलसी के पता 1 मुट्ठी, दालचीनी 5 ग्राम, सोंठ पाउडर 5 ग्राम, काली मिर्च 10 नग और गुड़ आवश्यक अनुसार। इन सभी सामग्री को पीसकर मिला ले और इसे सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाए। यह सामग्री एक खुराक है।

लम्पी स्किन डिजीज होने से पहले बचाव के देसी/आयुर्वेदिक इलाज

संक्रमण होने से पहले बचाव के लिए निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है। आंवला, अश्वगंधा, गिलोय एवं मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाए।

लम्पी स्किन डिजीज होने के बाद घरेलू/देसी/आयुर्वेदिक इलाज

लम्पी बीमारी होने के बाद प्रथम तीन दिनों के लिए पान के पत्ते 10 नग, काली मिर्च पाउडर 10 नग, ढेलेवाला नमक 10 नग और गुड़ आवश्यक अनुसार सभी सामग्री को अच्छी तरह से पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बना लें। यह सब सामग्री एक खुराक की मात्रा, पहले तीन दिनों तक संक्रमित पशु को हर 3 घंटे में एक लड्डू खिलाएं।

लम्पी बीमारी होने के 4 से 14 दिनों के लिए नीम के पत्ते 1 मुट्ठी, तुलसी के पत्ते 1 मुट्ठी , लहसुन की कली 10 नग, लौंग 10 नग, काली मिर्च पाउडर 10 नग, पान के पत्ते 5 नग, छोटे प्याज 2 नग, धनिये के पत्ते 15 ग्राम, जीरा 15 ग्राम, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, गुड़ आवश्यकतानुसार सभी सामग्री को अच्छी तरह से पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बना लें। यह सब सामग्री एक खुराक की मात्रा, पहले  4 से 14 दिनों तक संक्रमित पशु को सुबह-शाम और रात को लड्डू खिलाएं। 

खुले घाव पर लगाने के लिए घरेलू/देसी/आयुर्वेदिक इलाज

लम्पी स्किन डिजीज से प्रभावित गाय भैंस के खुले घाव पर लगाने के लिए नीम के पत्ते 1 मुट्ठी, तुलसी के पत्ते 1 मुट्ठी, मेंहदी पत्ते 1 मुट्टी, लहसुन की कली 10 नग, हल्दी पाउडर 10 ग्राम और नारियल का तेल 500 मिली सभी सामग्री को अच्छी तरह से पीसकर 500 मिलीलीटर नारियल के तेल में धीरे धीरे पका लें एवं तेल को ठंडा करें। नीम की पत्ती पानी में उबाल कर घाव को साफ करने के बाद उपरोक्त तैल घाव पर लगाएं ।

लम्पी स्किन डिजीज का होम्योपैथिक इलाज

लम्पी बीमारी में होम्योपैथिक इलाज बहुत ही सफल साबित हुआ है।  एलएसडी में होम्योपैथिक इलाज आप पशु को लम्पी स्किन डिजीज का लक्षण आने से पहले यानी बचाव के रूप में भी कर सकते हैं या पशु में एलसीडी का लक्षण आ चुका है फिर भी आप अपनेपशु का इलाज कर सकते हैं या अपने पशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आप होम्योपैथिक इलाज कर सकते हैं अपने पशुओं में इसके लिए बहुत सारे होम्योपैथिक कंपनी द्वारा रेडीमेड होम्योपैथिक की Vet kit तैयार किया गया है जैसे

Goel vet pharma का लम्पी स्किन डिजीज गोल्ड किट– होमिओनेस्ट मैरीगोल्ड ऐल एस डी- 25 किट जिसमें 2 दवा हैं पहली दवा होमेओनेस्ट वी ड्रॉप्स 25 पशु को दिन में तीन बार 20-25 बून्द रोज पिलानी होती है तथा दूसरी दवा मैरीगोल्ड एंटीसेप्टिक स्प्रे है जिसे पशु के घाव पर स्प्रे करना होता है | यह कोर्स कम से कम 15 से 20 दिन तक लगातार देना होता है।

Dr. John’s LSD Vet Kit– एल. एस. डी वेट किट जिसमें 3 दवा हैं जिसको देने की विधि है – बड़े पशु 15-20 बून्द रोटी के 1/4 टुकड़े पर डाल कर (या 1 ml दवा छोटी सिरिंज से सीधी मुंह में स्प्रे करें) दिन में 4-5 बार पशु को खिलाएँ । पशु ठीक होने पर दवा दिन में 3 बार कर दें। दवाईयां के बीच 5-10 मिनट का अंतर रखें। चारा / दाना देने से 1 घण्टा पहले या 2 घण्टे बाद में दवा खिलाएं । छालों से बने जख्मों पर Septolon Lotion लगायें। नाक में से पानी आने की हालत में Broncho Vet दें। बिमारी से बचाव के लिए दिन में 1-2 बार दे सकते हैं। छोटे पशु : बड़े पशु से आधी मात्रा दें।

लम्पी स्किन डिजीज का Vaccine क्या है ?

एलएसडी का भारत में पहले कोई वैक्सीन नहीं था तो उस टाइम Goat pox वाला Vaccine का उपयोग किया जाता था। लेकिन अब हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने लंपी-प्रो-वैक-इंड वैक्सीन (Lumpy-Pro-Vac-Ind Vaccine) नाम का एक टीका खोजा है। जिसे आप अपने पशुओं को लगवा सकते हैं।

और एमएसडी ने भी लम्पीवैक्स (Lumpyvax) नाम का वैक्सीन निकाल चुका है वह भी आप अपने पशुओं को लगवा सकते हैं अगर इन सब Vaccine न मिले तो आप Goat pox वैक्सीन लगवा सकते हैं।

लंपी स्किन डिजीज का वैक्सीन 4 महीने से ऊपर वाले पशुओं को लगाया जाता है। अगर आपके गांव में एलएसडी का केस मिल रहा है यानी बीमारी आपके गांव में आ चुका है तो आप इस या किसी वैक्सिंग का उपयोग अपने पशुओं में ना करें क्योंकि अब वैक्सीन लगाने का कोई फायदा नहीं है क्योंकि वैक्सीन बीमारी होने से पहले उपयोग किया जाता है।

और जिस पशु को एलएसटी हो चुका है उस पशु में भी आप किसी तरह का कोई Vaccine का उपयोग ना करें वैक्सिंग का उपयोग बीमारी आने से पहले किया जाता है।

लंबी स्किन डिसीसिस बचने के लिए आप अपने पशुओं में हर साल बरसात के महीने शुरू होने से पहले वैक्सीनेशन करवाएं।

क्या लम्पी स्किन डिजीज से प्रभावित गाय/भैंस के दूध का सेवन करना सुरक्षित है?

भारत में दूध का सेवन हमेशा उबालकर किया जाता है इसलिए लंबी स्क्रीन जिससे प्रभावित गाय या भैंस के दूध का सेवन करने से आदमियों में ऐसा कोई केस अब तक नहीं आया है। अगर कच्चे दूध का उपयोग बिना उबाले किया जाता है तो यह नुकसान कर सकता है लेकिन अगर आप इसे अच्छी तरह से उबालकर गर्म करके उपयोग में लेते हैं तो इसमें अगर किसी तरह का कोई वायरस है बैक्टीरिया होगा भी तो वह मर जाएगा और यह आपको किसी तरह का कोई नुकसान नहीं करेगा इसीलिए जब भी आप इस तरह के इनफेक्टेड पशुओं या नॉर्मल पशुओं का भी दूध का उपयोग करें तो उससे आप उबालकर ही उपयोग करें।

FAQ

लम्पी स्किन रोग कैसे फैलता है?

लम्पी स्किन डिजीज एक वायरल संक्रमण बीमारी है साथ में Vector Borne Disease है। Vector Borne Disease यानि जो मक्खी, मच्छर, जू, और चिचर जैसे खून चूसने वाले कीड़ो के काटने से होता है। खून चूसने वाले कीड़ो के काटने से ज्यादा फैलता है। साथ ही दूषित पानी, संक्रमित पशुओं के लार और उसके चारे से भी फैलता है।

लम्पी स्किन रोग लक्षण क्या है?

संक्रमित जानवर में निम्न लक्षण दिखाते हैं: तेज बुखार, भूख न लगना, पशु के वजन में कमी, पशुओं की आखें लाल होना व् आखों से पानी आना, दूध देने वाली मवेशियों में दूध उत्पादन में भारी कमी और मोटी-मोटी गांठें इसके आम लक्षण है।

लम्पी स्किन रोग उपचार क्या है?

संक्रमण होने से पहले बचाव के लिए निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग किया जा सकता है। तुलसी के पता 1 मुट्ठी, दालचीनी 5 ग्राम, सोंठ पाउडर 5 ग्राम, काली मिर्च 10 नग और गुड़ आवश्यक अनुसार। इन सभी सामग्री को पीसकर मिला ले और इसे सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाए। यह सामग्री एक खुराक है।

लंपी स्किन बीमारी क्या है?

लम्पी स्किन डिजीज एक Vector Borne Disease है यानि वायरल बीमारी है। जो मक्खी, मच्छर, जू, और चिचर जैसे खून चूसने वाले कीड़ो से ज्यादा फैलता है। साथ ही दूषित पानी, संक्रमित पशुओं के लार और उसके चारे से भी फैलता है।

लंपी वायरस कितने दिन तक रहता है?

LSD कितने दिनों में ठीक होगा आप पर निर्भर करता है कि आप उसका इलाज कैसे करवाते हैं और उसका रखरखाव कैसे करते हैं।

लंपी स्किन बीमारी से बचाव करने वाले टीके का नाम क्या है?

लंपी-प्रो-वैक-इंड वैक्सीन (Lumpy-Pro-Vac-Ind Vaccine) जिसे हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने बनाया है।

क्या लंबी वायरस मनुष्य में फैल सकता है?

नहीं, यह एक ज़ूनोटिक बीमारी नहीं है यानि पशुओं से मनुष्य में नहीं फैलता है।

लम्पी वायरस की शुरुआत कब हुई?

दुनिया में सबसे पहली बार यह रोग 1929 में साउथ अफ्रीका के देश ज़ाम्बिया में आया था। धिरे धिरे कई अफ़्रीकी देशो में फैल गया। 2012 के बाद से ये बीमारी यूरोप, रूस, तुर्की, ग्रीस और कज़ाकिस्तान जैसे देश में तबाही मचाई है

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